उत्तर प्रदेशलखनऊ

जयंती पर याद किए गए भारत रत्न पं. गोविंद बल्लभ पंत व जनकवि “गिर्दा”

लखनऊ। उत्तराखंड महापरिषद द्वारा भारत रत्न पं. गोविंद बल्लभ पंत की 138 वीं व जनकवि गिर्दा की 80 वीं जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित कर उनका भावपूर्ण स्मरण किया गया।

कुर्मांचल नगर स्थित उत्तराखंड महापरिषद भवन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में महापरिषद के पदाधिकारियों द्वारा पं. गोविंद बल्लभ पंत व जनकवि गिरीश तिवारी “गिर्दा” के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस मौके पर मातृशक्ति ने जनकवि गिरीश तिवारी “गिर्दा” द्वारा रचित गीत उत्तराखंड मेरी मातृभूमि प्रस्तुत कर उनका स्मरण किया।

श्रद्धांजलि सभा में महापरिषद के संयोजक दीवान सिंह अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री एवं भारत के पूर्व गृहमंत्री पं. गोविंद बल्लभ पंत जी ने वर्ष 1948 में लखनऊ में कुमाऊं परिषद (वर्तमान उत्तराखंड महापरिषद) की स्थापना कर प्रवासी उत्तराखंडियों को संगठित करने का कार्य किया था। उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और एक न्यायपूर्ण, संगठित तथा सशक्त भारत के निर्माण में अविस्मरणीय योगदान भी दिया था।

महापरिषद के अध्यक्ष हरीश चंद्र पंत ने अपने संबोधन में कहा कि जनकवि गिर्दा ने अपने गीतों, कविताओं और लोकधुनों से समाज की चेतना को जागृत किया। गिर्दा की रचनाओं ने हमेशा जनसंघर्षों को आवाज दी थी तथा उनके नारे और गीत जन जन की ताकत बन गए। महासचिव भरत सिंह बिष्ट ने कहा कि गिर्दा केवल कवि नहीं बल्कि एक विचारधारा और आंदोलन थे। जिन्होंने आम आदमी को अपनी शक्ति का अहसास कराया।

इस अवसर पर मंगल सिंह रावत, सुरेश पांडेय, कमल पंत, गिरीश बहुगुणा, पूरन जोशी, जगत राणा, हीरा बिष्ट, भुवन पाठक, सुरेश जोशी, पूरन जीना, शशि जोशी, पुष्पा वैष्णव, सीता नेगी, कमला चुफाल, मीणा अधिकारी, आशा बनौला, रेवती भट्ट, पूनम कनवाल, रेनू तिवारी, सुनीता रावत, हेमा बिष्ट व हरितिमा पंत आदि मौजूद रही।

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चन्द्रपाल सिंह चन्द

संपादक - देवभूमि दर्पण
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