गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं व संस्थागत प्रसव पर विशेष फोकस दें : जिलाधिकारी
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी ने दिए निर्देश

पौड़ी। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की समीक्षा बैठक आयोजित की गयी। बैठक में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता, मिशन मोड योजनाओं की प्रगति, एंबुलेंस सेवाओं, दवाओं की उपलब्धता, संस्थागत प्रसव और जनजागरुकता से संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की गयी।
बुधवार को जिला सभागार में जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया की अध्यक्षता में आयोजित समीक्षा बैठक में एसीएमओ विनय कुमार त्यागी द्वारा पीसीपीएनडीटी, निक्षय पोषण योजना, स्वास्थ्य सूचकांकों तथा उत्तराखंड नैदानिक स्थापन नियमावली 2015 की जानकारी प्रस्तुत की गई। इस दौरान जिलाधिकारी ने एंबुलेंस सेवाओं की समीक्षा करते हुए कहा कि 108 एंबुलेंस आपात स्थितियों में फर्स्ट रिस्पांडर होती हैं। इसलिए उनका रिस्पांस त्वरित और प्रभावी होना चाहिए। उन्होंने समस्त ब्लाक चिकित्साधिकारियों को एंबुलेंस का निरीक्षण कर सुविधाएं, उपकरण व वाहन की स्थिति सुनिश्चित करने तथा सीएमओ डा. शिव मोहन शुक्ला को चेकलिस्ट के आधार पर एंबुलेंसों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि दवाओं की उपलब्धता पर विशेषज्ञ डाक्टरों से समन्वय कर अस्पताल की उपलब्धता के अनुसार दवाएं लिखें तथा जन औषधि केंद्रों की दवाओं को प्राथमिकता दें। पीसीपीएनडीटी एक्ट की समीक्षा में जिलाधिकारी ने अल्ट्रासाउंड केंद्रों की स्थिति की जानकारी लेकर निर्देश दिए कि जिन ब्लाकों में डिलीवरी प्वाइंट हैं, वहां संस्थागत प्रसव सुनिश्चित किए जाएं। उन्होंने जागरूकता एवं प्रचार -प्रसार पर भी विशेष बल दिया।
जिलाधिकारी ने गहन टीबी अभियान की समीक्षा करते हुए कहा कि एक्स -रे मशीनों की उपयोगिता और रिपोर्टिंग सुनिश्चित की जाए। उन्होंने सीएमओ को निर्देश दिए कि मोबाइल एक्स -रे मशीनों को सुभेद्य क्षेत्रों में भेजकर अधिकतम परीक्षण कराएं तथा इस अभियान का प्रचार -प्रसार करें। उन्होंने निक्षय पोषण योजना की समीक्षा करते हुए चिकित्साधिकारियों से सुझाव लिए और निक्षय मित्र समुदाय से बेहतर समन्वय करने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि टीबी का ट्रीटमेंट सक्सेस रेट बढ़ाने के लिए सही डायग्नोसिस और रिपोर्टिंग पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि विशेषज्ञ डाक्टरों को आपातकालीन ड्यूटी में न लगाया जाए व लेबर रूम के आधुनिकीकरण पर प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने चिकित्सकीय स्टाफ की स्थिति पर चर्चा करते हुए रेडियोलाजिस्टों को सप्ताह में दो दिन कोटद्वार से सतपुली और थलीसैंण से बीरोंखाल तैनात करने के निर्देश दिए।
बैठक में जिलाधिकारी द्वारा खुशियों की सवारी योजना, जननी सुरक्षा योजना, जननी शिशु सुरक्षा योजना के साथ मातृत्व मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर जैसे स्वास्थ्य सूचकांकों की समीक्षा की गई। उन्होंने कहा कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना प्राथमिक लक्ष्य है। इसके लिए प्रधानों, जनप्रतिनिधियों और आशा कार्यकर्त्रियों के माध्यम से दूरस्थ गांवों में प्रचार -प्रसार किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि एएनएम और अकुशल दाइयों की सूची तैयार कर उनका प्रशिक्षण कराया जाए।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने रेफर हुए बच्चों की जानकारी ली और इस कार्यक्रम के व्यापक प्रचार की आवश्यकता बतायी। जिलाधिकारी ने गैर संचारी रोगों की रोकथाम, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों के संचालन तथा राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण अभियान की प्रगति की समीक्षा करते हुए स्कूल कालेजों में नशामुक्त भारत अभियान के अंतर्गत जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने नशामुक्ति केंद्रों का निरीक्षण करने को भी कहा।
आयुष्मान भारत मिशन की समीक्षा में जिलाधिकारी ने आयुष्मान आरोग्य शिविरों और स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के विभिन्न घटकों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस मिशन का उद्देश्य ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ कराना है। उन्होंने चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए कि कार्यदायी संस्थाओं से समन्वय कर अवसंरचनाओं की मानिटरिंग करें ताकि जनता को बेहतर उपचार और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
बैठक में समस्त विकासखंडों के चिकित्साधिकारी तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।
