उत्तराखण्डक्राइम/दुर्घटनादेहरादून

एसटीएफ ने ढाई दशक से फरार दो लाख का इनामी दबोचा

चमोली में तैनात डीजीसी क्रिमिनल की हत्या का आरोपी था।

देहरादून। उत्तराखंड एसटीएफ ने पिछले 25 वर्षों से फरार दो लाख के ईनामी अभियुक्त को झारखण्ड से किया गिरफ्तार है। गिरफ्त में आए अभियुक्त ने बद्रीनाथ में डीजीसी की सरेआम चाकू से गोदकर हत्या की थी। अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए उत्तर प्रदेश, दिल्ली व अन्य राज्य के विशेष पुलिस बल भी प्रयास कर रहे थे।

एसटीएफ मुख्यालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक एसटीएफ को 25 वर्षों से फरार हत्यारोपी सुरेश शर्मा को गिरफ्तार करने का टास्क दिया गया था। आरोपी ने बद्रीनाथ में 28 अप्रैल वर्ष 1999 में एक जमीनी विवाद के चलते चमोली के डीजीसी क्रिमिनल बाल कृष्ण भट्ट की सरेआम चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने अभियुक्त सुरेश शर्मा को मौके से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। अभियुक्त को चालीस दिन बाद जमानत मिल गयी थी। लेकिन जमानत के कुछ दिनो बाद ही उच्चतम न्यायालय द्वारा अभियुक्त की जमानत खारिज कर दी गई थी।

गिरफ्तारी से बचने हेतु अभियुक्त सुरेश शर्मा फरार हो गया था। पुलिस द्वारा उसकी गिरफ्तारी के अथक प्रयास किए गए लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं चढ़ पाया था। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर दो लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।

पुलिस महानिरीक्षक अपराध एंव कानून ब्यवस्था पुलिस मुख्यालय नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ नवनीत सिंह भुल्लर के निर्देशन व पुलिस उपाधीक्षक एसटीएफ आरबी चमोला के पर्यवेक्षण में एसटीएफ टीम को सुरेश शर्मा की गिरफ्तारी के लिए निर्देशित किया गया था। एसटीएफ टीम द्वारा महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल एवं झारखण्ड जाकर अभियुक्त की तलाश की गयी थी। टीम को खोजबीन के दौरान जमशेदपुर में एक संदिग्ध ब्यक्ति मनोज जोशी पुत्र रामप्रसाद जोशी मिला। जिसके पास 24 परगना, पश्चिम बंगाल पते का आधार कार्ड था। टीम ने पूर्व में प्राप्त तकनीकी तथा भौतिक सूचनाओं का वर्तमान में प्राप्त सूचनाओं से मिलान कर चमोली जेल से प्राप्त अभियुक्त के फिंगर प्रिंट का उसके फिंगर प्रिंट से मिलान किया तथा विभिन्न साफ्टवेयरों द्वारा उसके चेहरे का अभियुक्त की पूर्व की फोटो से मिलान किया गया। टीम द्वारा अपने अथक प्रयास से अभियुक्त की पहचान पुष्टि हो जाने के बाद विगत 23 जनवरी को जमशेदपुर झारखंड से उसे गिरफ्तार किया गया। अभियुक्त को न्यायालय के समक्ष पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर उत्तराखंड लाया गया है।

एसटीएफ द्वारा सख्ती से पूछताछ में गिरफ्तार अभियुक्त ने बताया कि चमोली जेल से चालीस दिन बाद जमानत में छूटने पर वह अपने रिश्तेदारों के यहां मुंबई चला गया था। कुछ दिन वहां रहने के पश्चात उसे पता चला कि मेरी जमानत खारिज हो गई है। घरवालों द्वारा वापस बुलाने पर वह घर न जाकर कोलकाता चला गया था। वहां उसने सड़क किनारे ठेली लगाकर खाना बनाने का काम शुरू किया। कुछ समय बाद कपड़े का व्यापार किया तथा लॉकडाउन के बाद से वह एक मेटल ट्रेडिंग कंपनी का व्यवसाय कर रहा था। यह कंपनी स्क्रैप का काम करती है। कम्पनी के काम से वह देश के अलग अलग शहरों में भ्रमण करता रहता है। कंपनी के कार्य से जमशेदपुर आया था। जहां उसने पहचान छिपाने के लिये मनीश शर्मा नाम रखा तथा उसके पश्चात मनोज जोशी के नाम से अपने दस्तावेज बना लिये थे। उसने बताया कि उसक पत्नी का नाम रोमा जोशी है। वह पश्चिम बंगाल की रहने वाली है तथा उसके दो पुत्र हैं ।

अभियुक्त को गिरफ्तार करने वाली एसटीएफ टीम में निरीक्षक अबूल कलाम, उप निरीक्षक विघादत्त जोशी उप निरीक्षक नवनीत भण्डारी, मुख्य आरक्षी संजय कुमार, आरक्षी मोहन असवाल व आरक्षी जितेन्द्र शामिल थे।

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चन्द्रपाल सिंह चन्द

संपादक - देवभूमि दर्पण
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