वंदे मातरम् सप्ताह का समापन: महाविद्यालय जयहरीखाल में विजेताओं को किया सम्मानित

कोटद्वार। भक्त दर्शन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जयहरीखाल में राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों का समापन हुआ। महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में वंदे मातरम के महत्व और स्वतंत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका पर विस्तार से चर्चा की गई।
शनिवार को महाविद्यालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम में डा. उमेश ध्यानी ने वंदे मातरम के इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलन में इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला। वहीं, डा. अर्चना नौटियाल द्वारा बंकिम चंद्र चटर्जी के जीवन और उनके योगदान को विस्तार से बताया गया।
महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. लवनी रानी राजवंशी ने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की आत्मा है। जिसने देशभक्ति और त्याग की भावना को जागृत किया। उन्होंने बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को नमन करते हुए कहा कि उनकी यह कृति देश की सांस्कृतिक चेतना को एक सूत्र में पिरोती है।
कार्यक्रम का संचालन डा. शिप्रा द्वारा किया गया। इस अवसर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए गए। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत वंदे मातरम के सामूहिक गायन से किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी छात्र -छात्राओं और अध्यापकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
